Jī. Pī Śrīvāstava kī kr̥tiyoṃ meṃ hāsya-vinodaLakhnaū Viśvavidyālaya, 1963 - 241 pages |
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... पात्र की स्वाभाविक भाषा अन्य पात्रों से पृथक नहीं रख सके हैं । नगरों की खड़ी बोली का प्रयोग करने वाले पात्र प्रायः अवधी का रूप ले ...
... पात्र की स्वाभाविक भाषा अन्य पात्रों से पृथक नहीं रख सके हैं । नगरों की खड़ी बोली का प्रयोग करने वाले पात्र प्रायः अवधी का रूप ले ...
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... पात्रों में परस्पर अनेक प्रकार की समता दिखाई पड़ती है । विभिन्न पात्रों के गुणों की एक रूपता के आधार पर हम इन पुरुष पात्रों के अनेक ...
... पात्रों में परस्पर अनेक प्रकार की समता दिखाई पड़ती है । विभिन्न पात्रों के गुणों की एक रूपता के आधार पर हम इन पुरुष पात्रों के अनेक ...
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... पात्र वासनाग्रस्त और प्रेमी दिखाए गए हैं । अधिकांश कथावस्तु प्रेम - व्यापार को लेकर चली है । इन प्रेमी पात्रों के दो रूप मिलते हैं ...
... पात्र वासनाग्रस्त और प्रेमी दिखाए गए हैं । अधिकांश कथावस्तु प्रेम - व्यापार को लेकर चली है । इन प्रेमी पात्रों के दो रूप मिलते हैं ...
Common terms and phrases
अंग्रेजी अथवा अधिक अनेक अन्य अपनी अपने अवधी आज आदि इन इस प्रकार इसका इसके इसमें इसी ई० में उनकी उनके उपहास उर्दू उसके एवं ऐसे कभी कर करते हैं करने कहा कहीं का किया किया गया है किया है किसी की ओर कुछ के कारण के लिए केवल को कोई गई जब जा जाता है जी जी० पी० की जी० पी० ने जीवन जो तक तथा तो था थी थे दिया दृष्टि दो द्वारा नहीं नाटक नारी पर परन्तु पात्र पात्रों पृष्ठ प्रकार के प्रयोग प्रायः प्रेम बहुत कुछ भारत भाषा भी में एक यह यहाँ युग रचना रचनाओं रहे राम रूप रूप में रूप से लखनऊ लाल लेकर वर्ग वह विशेष वे व्यंग्य शैली सकता सकते सन् सभी समय समाज साहित्य में से स्थान स्वयं हम हास्य के हिन्दी हिन्दी साहित्य ही हुआ हुए हृदय है और है कि हैं हो होगा होता है होती होते होने